गढ़वा: आज बीएसकेडी पब्लिक स्कूल में "दादा-दादी सम्मेलन" का आयोजन बड़े उत्साह और उल्लास के साथ किया गया। इस अनूठे कार्य...
गढ़वा: आज बीएसकेडी पब्लिक स्कूल में "दादा-दादी सम्मेलन" का आयोजन बड़े उत्साह और उल्लास के साथ किया गया। इस अनूठे कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल विद्यार्थियों को पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों से जोड़ना था, बल्कि उन्हें यह सिखाना भी था कि परिवार से जुड़ाव और राष्ट्रप्रेम का भाव उनके जीवन का आधार होना चाहिए।कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत गीत और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। विद्यालय के निदेशक श्री संजय सोनी ने अपने संबोधन में कहा, "दादा-दादी परिवार की जड़ें हैं, जो हमें हमारी संस्कृति, परंपरा और जीवन मूल्यों से जोड़ती हैं। बच्चों को जीवन में भौतिक उपलब्धियों के साथ-साथ परिवार के प्रति जिम्मेदारी और राष्ट्रप्रेम की भावना को भी प्राथमिकता देनी चाहिए। यह सम्मेलन इन्हीं विचारों को मजबूत करने का एक प्रयास है।"
कार्यक्रम में दादा-दादियों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया गया। इसके लिए चिकित्सा विशेषज्ञों की एक टीम ने स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया। डेंटल सर्जन डॉ अशोक ने बुजुर्गों को दांतों की देखभाल के महत्वपूर्ण
सुझाव दिए।फिजिशियन डॉ ज्वाला प्रसाद ने शुगर और बीपी जैसी सामान्य समस्याओं से बचाव और स्वस्थ जीवनशैली पर मार्गदर्शन दिया। डॉ यासीन अंसारी ने स्वस्थ रहने के साथ ख़ुश रहने की कला सिखाई
सुझाव दिए।फिजिशियन डॉ ज्वाला प्रसाद ने शुगर और बीपी जैसी सामान्य समस्याओं से बचाव और स्वस्थ जीवनशैली पर मार्गदर्शन दिया। डॉ यासीन अंसारी ने स्वस्थ रहने के साथ ख़ुश रहने की कला सिखाई
कार्यक्रम की खास बात बच्चों द्वारा दी गई रंगारंग प्रस्तुतियाँ रहीं।
बच्चों ने कविताओं, नृत्य और नाटकों के माध्यम से दादा-दादी के प्रति अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं।
“फनी क्विज़” और मनोरंजक खेलों ने बुजुर्गों को उनके छात्र जीवन और जवानी के दिनों की याद दिला दी।
विद्यालय के संस्थापक अनिरुद्ध प्रसाद ने कहा कि "हमारे समाज में दादा-दादी केवल मार्गदर्शक ही नहीं, बल्कि बच्चों के सबसे अच्छे दोस्त भी होते हैं। ऐसे आयोजन पीढ़ियों के बीच की दूरी को कम करने और परिवारों को एकजुट करने का कार्य करते हैं।"
विद्यालय अपने विद्यार्थियों में संस्कार और संस्कृति के प्रति जुड़ाव बनाए रखने के लिए मातृ दिवस, गुरु पूर्णिमा, रक्षा बंधन जैसे आयोजन भी करता है। इन आयोजनों का उद्देश्य बच्चों में पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूकता लाना है।
"दादा-दादी सम्मेलन" ने उपस्थित सभी बुजुर्गों के चेहरों पर मुस्कान और दिलों में अपनेपन का अहसास छोड़ दिया। यह आयोजन परिवार और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने और संस्कारों को अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का एक प्रेरणादायक प्रयास था।
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